आन कs लागे सोन चिरैया………..

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वैलेनटाइन

बिसरल बंसत अब तs राजा
आयल वैलेनटाइन ।
राह चलत के हाथ पकड़ के
बोला यू आर माइन ।

फागुन कs का बात करी
झटके में चल जाला
ई त राजा प्रेम कs बूटी
चौचक में हरियाला

आन कs लागे सोन चिरैया
आपन लागे डाइन। [बिसरल बसंत…..]

काहे लइका गयल हाथ से
बापू समझ न पावे
तेज धूप मा छत मा ससुरा
ईलू-ईलू गावे

पूछा तs सिर झटक के बोली
आयम वेरी फाइन । [बिसरल बसंत…..]

बाप मतारी मम्मी-डैडी
पा लागी अब टा टा
पलट के तोहें गारी दी हैं
जिन लइकन के डांटा

भांग-धतूरा छोड़ के पंडित
पीये लगलन वाइन। [बिसरल बसंत…..]

दिन में छत्तिस संझा तिरसठ
रात में नौ दू ग्यारह
वैलेन टाइन डे हो जाला
जब बज जाला बारह

निन्हकू का इनके पार्टी मा
बड़कू कइलन ज्वाइन। [बिसरल बसंत…..]

35 thoughts on “आन कs लागे सोन चिरैया………..

  1. बहुत्ते जबरजंग बा….पहले तS पूरा फागुन के महीना हो ला आब खाली एक्के थो दिन…का कार्ल जाय टैम नइखे बाडन….

  2. दिन में छत्तिस संझा तिरसठरात में नौ दू ग्यारहवैलेन टाइन डे हो जालाजब बज जाला बारह…..बेहतरीन!!

  3. काहे लइका गयल हाथ सेबापू समझ न पावेतेज धूप मा छत मा ससुराईलू-ईलू गावेहा हा हा ! यह तो वैलेंटाइन डे में होली की मस्ती आ गई । बढ़िया ।

  4. devendra ji…bada maja aa gayil yi..geet padh ke…..majedar velentine…. आन कs लागे सोन चिरैयाआपन लागे डाइन। [बिसरल बसंत…..waah..kya bat..hai…

  5. वाह…वाह…वाह…वाह…वाह…क्या बात कही है…लाजवाब !!!इतनी मीठी लगी आपकी यह रचना कि क्या कहूँ…सार्थक सटीक करारा व्यंग्य है यह…कुढा पड़ा मन एकदम से हरिया गया…bahut bahut आभार आपका…

  6. बसंत पर वेलेंटाइन 'कुर्की आदेश' जैसा लाया है ,किसी देश की सांस्कृतिक परम्पराओं की 'बेदखली' की यह चिंता साधारण नहीं है ! एक अत्यंत गंभीर विषय / चिंताजनक विषय पर हाथ उठाने के लिए धन्यवाद !

  7. काहे लइका गयल हाथ सेबापू समझ न पावेतेज धूप मा छत मा ससुराईलू-ईलू गावेक्या बात है देवेन्द्र जी ….बहुत खूब ……

  8. पाण्डेय जी!बहुत ही व्यञ्जकभोजपुरी का पुट इसे और भी आनन्ददायक बना रहा है।वर्तमान में भोजपुरी में ऐसी ही सार्थक रचनाओं की आवश्यकता है, ताकि भोजपुरी फिल्म के माध्यम से जो अश्लील गीत समाज में फैले हैं उनकी प्रभुता कुछ कम हो सके और समाज को एक अच्छा संदेश मिले कि भोजपुरी में अच्छी रचनायें भी होती हैं।हालांकि मोती बी. ए., भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी को सही राह दिखाई है, परन्तु समकालीन रचनाकारों द्वारा इसे आगे बढ़ाना आवश्यक है।अवधी क्षेत्र से होंने के कारण यद्यपि मैं भोजपुरी बोल नहीं सकती पर समझ सकती हूँ।मुझे आशा है कि आप भविष्य में भी ऐसी ही सुन्दर, संप्रेषणीय रचना करते रहेंगे।

  9. दिन में छत्तिस संझा तिरसठरात में नौ दू ग्यारहवैलेन टाइन डे हो जालाजब बज जाला बारह…..बहुत खूब ….

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