हे ईश्वर !
मुझे लगता है
तू भी
लिंग भेद करता है !
आकर्षक रंग
सुंदर रूप
नीली लचकदार गरदन
खूबसूरत लम्बी पूंछ
माथे पर कलगी
मानो हो कोई तेरा ही मुकुट
हसीन पंख
फैला के नाचे तो देखने वाले अपलक देखते ही रहें
हे ईश्वर !
जब लुटा रहे थे मोर पर सारी सुंदरता
तो तुझे
मेरा तनिक भी खयाल नहीं आया ?
कंजूसी की,
नहीं दिया मोर को !
काले कोयल को दिया
पर मुझे नहीं दिया !
क्या समझूँ ?
यही न
कि तू भी चाहता है
झूमे-नाचे, मजा मारे मोर
मैं अकेली
सेती रहूँ अंडे !
……………………………..
(ऊपर मोर और नीचे मोरनी के चित्र विकिपीडिया से साभार)
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बहुत खूब! 🙂
ना मेरी मोरनी … मोर को नचाकर ईश्वर ने तुम्हें जो दिया है, वही तो श्रेष्ठता है— हर जगह माँ की अनुगूँज है , मोर भी नाचकर अपनी माँ को ही खुश करता है …..वैसे मोरनी का दर्द आपने इन्गित किया , बहुत ही सशक्त शब्दों में
व्यथा अपनी अपनी ….बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए शुभकामनायें !
हम मोरनी के दुःख में शामिल हैं । लेकिन काश मोरनियाँ ये समझ सकतीं की 'मोर' उनका ही सृजन हैं। यदि ईश्वर द्वारा दिए सृजन के इस वरदान को समझ लिया जाए तो मोरनी से महिला तक सभी का "लिंग-भेद" वाला क्लेश मिट जाए।
lingbhed to avashy kiya hai eeshwar ne lekin aisa kar ke morni ko jo sthan de diya us sthan ko mor kabhi hasil hi nahin kar sakta ,bahut umda abhivyakti !
आदरणीय दिव्या जी का कहना सही है ……बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने मोरनी का दर्द …आपका अबहट
wah sir….kisi ne pahli baar aisa socha hoga…sach me kisi ka dhyan hi nahi gaya hoga..:)
रश्मि जी ने सही कहा है। सश्क्त सुन्दर अभिव्यक्ति।
हे ईश्वर !सारी सुंदरता मोर पर उढ़ेलता हैमुझे लगता हैतू भीलिंग भेद करता है !मोर मोरनी के प्रसंग से आपने गंभीर विषय की ओर इंगित किया है, सुंदर कविता, बधाई.
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी हैकल (21-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकरअवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।http://charchamanch.blogspot.com/
हे ईश्वर !सारी सुंदरता मोर पर उढ़ेलता हैमुझे लगता हैतू भीलिंग भेद करता है !आपने स्त्री विमर्श को कविता में पिरो दिया…सुन्दर अभिव्यक्ति …हार्दिक बधाई
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति …वैसे देखा जाए तो इंसान को छोड़ कर पशु पक्षियों में नर अधिक सुन्दर होते हैं
आकर्षक रंगसुंदर रूपनीली लचकदार गरदनखूबसूरत लम्बी पूंछमाथे पर कलगी…देखिये मोरनी बहुत खुश दिखाई देने लगी है अंडे से उसका बेटा जो बाहर आया है … ….सार्थक भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुति……
Bahut khoob! Ye bhee ek nazariya hai!
Iana sundar Mor, Morni ko aakarshit karne ke liye hi to karta hai :]Morni se kahiye khush raha kare, Mor khud naach kar unhain bina taj ke hi Rani bana deta hai.
देव बाबू,क्या खूब दर्द बयां किया है मोरनी का …..अजी कहीं तो पुल्लिंग को सुन्दर किया गया है नहीं तो स्त्रीलिंग ही हमेशा सुन्दरता का प्रतीक रहती हैं….शायद मोर ही एकलौता ऐसा जीव है ……पोस्ट बढ़िया थी….कुछ अलग …..
ऐसे नही सोचा था देवेन्द्र जी हमने …पर सच है आपकी बात …
वाह , गज़ब की भावाभिव्यक्ति …
सशक्त शब्दों में बेहतरीन भावाभिव्यक्ति..
मोरनी से कहिये जले नहीं, बल्कि इतराये। मोर की नजर से देखे कभी खुद को तो पता चल जायेगा।
कवि वे बातें भी अपनी काव्यात्मक लहजे में आसानी से कह जाता है जिसे कहने में एक गद्यकार /निबंधकार भूमिका की आड़ लेता है -एक तःह्य की बात-पूरे प्राणी जगत में नारी की तुलना में नर ही सुन्दर आकर्षक होता है शेर ,बैल,भैंसा ,कितने पक्षी आदि आदि ….यहाँ तक कि मनुष्य भी -क्या कहा प्रमाण -किसी हिजड़े से पूछिए !
मोर के बिना मोरनी, ओर मोरनी के बिना मोर कहां हे जी, फ़िर मोर की आवाज कभी ध्यान से सुने बहुत सुंदर लगती हे
waah aaj to is baat ko siddh kar diya…jahan na pahunche ravi….vahan pahunche kavi.
आकर्षक रंगसुंदर रूपनीली लचकदार गरदनखूबसूरत लम्बी पूंछमाथे पर कलगीमानो हो कोई तेरा ही मुकुटहसीन पंखफैला के नाचे तो देखने वाले अपलक देखते ही रहेंbahut hi badhiyaa
पांडे जी, सिर्फ मोर मोरनी ही क्यूं, सिंह और सिंहिनी, हाथी और हथिनी..लगभग हर प्राणियों में यह भेद पिअदा किया है पैदा करने वाले ने..
बहुत सशक्त अभिव्यक्ति
आदरणीय देवेन्द्र जी नमस्कार !नीली लचकदार गरदनखूबसूरत लम्बी पूंछमाथे पर कलगी……सार्थक भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुति……
stri vimarsh ke paksh ko majbuti dete huye ,aapke shabd sanyojan kavy ko pratisthit kar rahe hain .sundar rachana . aabhar ji.
कभी मोर के दर्द पर भी कुछ लिखिए अपना दुःख दर्द बांटने में मोरनियाँ खुद सक्षम हैं -उनकी यह पीड़ा कवी को क्यों बेहाल किये हुए है ?
सुंदर अभिव्यक्ति।
@आदरणीय अरविंद जी,…जो आदेश। …आपका पहला कमेंट काफी जोरदार है। खासकर यह…..प्रमाण हिजड़े से पूछिए।
shaandar, ishwar bada hi pakshpati hai !
बेहद प्रभावशाली अभिव्यक्ति …..आभार !
लाजवाब…आपने तो कमान ही कर दिया…
भई , सच मोरनी के साथ तो बेइंसाफी हुई है ।लेकिन कभी मोरनी ने विद्रोह किया क्या ?
वैसे तो प्रकृति रचित हर चीज और जीवों में बनाई खासियतों का विशिष्ट प्रयोजन है , पर मोरनी की भी तो कोई इच्छा या लालसा हो सकती है । एक नया दृष्टिकोण । बहुत अच्छा लगा ।
एक को तो भार उठाना होगा।
ईश्वर कहते हैं —अगर मोर सुन्दर न होता तो मोरनी अंडे भी न देती इसीलिए मैंने उसे सुन्दर बनाया.
कभी गौर नहीं किया, इसलिये नई नजर की इस प्रस्तुति के लिये आभार…
बखूबी अभिव्यक्त किया है आपने मोरनी का दर्द ..
कुदरत में यहां ही अन्याय है मोर खूबसूरत और मोरनी सामान्य
morani ki vaytha….bahut shashkt abhivyakti hai
मोरनी की व्यथा किसी को तो नज़र आई….बढ़िया अभिव्यक्ति
बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिए शुभकामनायें !
क्या बात है,वाह.
सश्क्त सुन्दर अभिव्यक्ति। शुभकामनायें|
''अंडे सेती हूँ,मोर बनाती हूँ,इस तरह मैं तो ईश्वर का अंश हूँ ,यह काम मोर कैसे कर सकता है,इसीलिये दुनिया में मेरी सत्ता है."यह मेरी मोरनी कहती है.अच्छे हास्य की बधाई !