मौन की गूँज

आपने कभी सुनी है

मौन की गूँज?

सुनिए

मैं सुन रहा हूँ

राजघाट में

बापू की समाधी पर

गूँज रहा है

मौन

सुनाई दे रही है उसकी धमक

वहाँ से

यहाँ तक!

मौन जब चीखता है

सुनने लगते हैं

बहरे भी

डरने लगते हैं

अत्याचारी भी

क्या होगा आगे?

जानना चाहते हैं सभी

वे भी

जो मौन के साथ हैं

वे भी

जिनके कारण गूँजा है

मौन

अरे मरारे..!

चीख रहे हैं अधिकारी

हरे मुरारे

कह रही है जनता

बढ़ता जा रहा है

भीड़ का घेरा

मौन हैं

अण्णा हजारे।

…………..

17 thoughts on “मौन की गूँज

  1. मौन हैं अण्णा हजारे। नासूर बन चुका है भ्रष्टाचार इससे कौन उबारे……… कुछ तो होगा असर…स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।

  2. बहुत सही, मौन जब चीखने लगता है तब एक भूचाल आता है, आ ही गया है अबकि बार.स्वतंत्रता दिवस की घणी रामराम.रामराम.

  3. देवेन्द्र जी इस मौन में शंखनाद की अनुगूंज है… जनविरोधी , आतताई और हर मोर्चे पर असफल , भ्रष्ट सरकार की अंतिम घड़ियों के आर्तनाद की ध्वनि भी सुन लीजिएगा … सुंदर रचना … साधुवाद !रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ -राजेन्द्र स्वर्णकार

Leave a reply to डॉ टी एस दराल Cancel reply