बनारस में भी महसूस किये गये भूकंप के झटके। सच कहें तो हमने नहीं महसूस किये। हम तो गहरी नींद में सो रहे थे। एक गोष्ठी से लौटे थे जिसका विषय था… अखंडता, सांप्रदायिकता और लक्षित हिंसा विधेयक । नाम कुछ और क्लिष्ट था लेकिन मूल में यही तीनों भयंकर शब्द थे। भरपूर मगज़ मारी के बाद दोपहर तीन बजे के करीब जब गोष्ठी खत्म हुई तो भोजन मिला। भोजन शुद्ध देशी था… दाल-बाटी, लिट्टी-चोखा और चावल की मीठी खीर । हचक के लिट्टी, हचक के चोखा और चौचक खीर पीने के बाद मस्त पान घुलाकर लौटे थे। घर आये तो इधर ब्लॉग खुला उधर गहरी नींद आ गई। शाम को साढ़े छ बजे के आस पास श्रीमती जी ने झकझोर के उठाया…सुन रहे हैं..भुकंप आ गया…उठिये मेरी आँखें खुली की खुली रह गईँ। बाबा के नगर में भूकंप !! हो ही नहीं सकता, सोने दो। वो फिर चीखीं…मेरे सामने टी0वी0 हिली थी..मैने देखा है..उठिए। उठकर बाहर झांका तो लोग बरामदे में खड़े हो अपने रिश्तेदारों को फोनियाते नज़र आये। तब तक अपनी भी मोबाइल बजने लगी। टी0वी0 खोला तो बात साफ हो गई। रियेक्टर पैमाने ( पता नहीं ई कौन पैमाना होता है, कभी स्कूल में तो पढ़े नहीं थे ) इसकी तीव्रता 6.8 आंकी गई। केन्द्र बिंदु…सिक्किम।
आप बताइये क्या हाल है आपके शहर में…? दिवालें कुछ चिटकीं की नहीं…? कलकत्ते वाले ढेर मजा लिये होंगे ई भूंकप की हिलाई का। हम तो…का बतायें …जीवन में ले दे कर एक बार आया.. वो भी हम सो रहे थे। कितना कम फासला है न जीवन और मृत्यु के बीच…! काहे को हम झगड़ते हैं आपस में ? ई विधेयक ऊ विधेयक…कौन सा तीर मार लोगे नासपीटों….? अभ्भी एक्के रियेक्टर बड़ा होता तो अकल ठिकाने लग जाती।
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इस पोस्ट के लिए कमेंट का विकल्प अब बंद कर रहा हूँ। दरअसल भूकंप की घटना ने उत्तेजित कर दिया था। पटना, कलकत्ता, आसाम और नेपाल तक फैले अपने ब्लॉगर मित्रों का हाल चाल लेने व उनकी त्वरित प्रतिक्रिया जानने के लिए चैट की तरह इसका इस्तेमाल किया था। उद्देश्य पूरा हुआ। धन्यवाद।
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इस पोस्ट के लिए कमेंट का विकल्प अब बंद कर रहा हूँ। दरअसल भूकंप की घटना ने उत्तेजित कर दिया था। पटना, कलकत्ता, आसाम और नेपाल तक फैले अपने ब्लॉगर मित्रों का हाल चाल लेने व उनकी त्वरित प्रतिक्रिया जानने के लिए चैट की तरह इसका इस्तेमाल किया था। उद्देश्य पूरा हुआ। धन्यवाद।
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विधि का विधान कोई नहीं जानता है!
ब्लोगिंग करते रहे और हिलते रहे ||DHANBAD,FACEBOOK PAR LIKHA—-
ब्लॉगिंग के भूकम्पों से अधिक तीव्र होगा यह।
@ कलकत्ते वाले ढेर मजा लिये होंगे ई भूंकप की हिलाई का।हा-हा-हा ..बस थोड़ी देर के लिए कंपन महसूस हुआ।
इस सौभाग्य से आप वंचित रह गए 🙂 बेटी ने तुरंत तुक भिडाई …भोले को हुयी खुजली और काशी उछली इसी तर्ज पर एक थो हो जाय !
बडे खुशकिस्मत है आप जो भूकंप के समय दाल-बाटी, लिट्टी-चोखा और चावल की मीठी खीर खींच कर नींदिया रहे थे, हमने तो गुजरात के भूकंप के समय चक्कर खाने का आनंद उठाया था.:)रामराम.
का मनोज भैया …आपो मजा नहीं ले पाये…हम तो समझे थे कि…धत्त तेरे की।
@Arvind Mishra…भोले को हुई खुजली और काशी हिल गई…हा..हा..हा..सही कहा आपने। कहीं नंदी तो सींग नहीं घुसेड़ दिये त्रिशूल पे..?
@ताऊ…इंदौर में भी तो हल्का फुल्का झटका महसूस हुआ होगा…लेकिन का कहें पता नहीं आप कहां बिराजे हैं..!
अभ्भी एक्के रियेक्टर बड़ा होता तो अकल ठिकाने लग जाती—सही कह रहे हो भैया ।कुदरत के आगे इन्सान की क्या बिसात ।
नेपाल की राजधानी काठमांडू में डर के मारे तीन लोग मर गये..!मौत को देखकर परिंदा उड़ना भूल गया और यही उसकी दर्दनाक मौत का कारण बना।
प्रवीण पाण्डेय…ब्लॉगिंग का भूंकप तो अपने वश का है न..
असम में हरकीरत हीर रहतीं हैं..भगवान जाने वहां क्या हाल है..!
नवभारत टाइम्स में यह खबर है…सूत्रों के मुताबिक, नॉर्थ ईस्ट, बंगाल, बिहार, नेपाल और भूटान में इसके झटके ज्यादा महसूस किए गए। इन इलाकों में भूकंप के बाद लोगों में भय का वातावरण है। लोग अपने घरों से बाहर आ गए हैं। कोलकाता और नॉर्थ ईस्ट के कई जिलों से मकानों में दरार पड़ने की खबरें आ रही हैं। भूकंप के बाद कोलकाता और पटना में दहशत का वातावरण बन गया है। लोग घरों से बाहर निकल आए हैं। मंदिरों में पूजा-अर्चना शुरू हो गई है।
बिहार के कटिहार और नालंदा में 2-2 मकानों के गिरने की खबर है। उत्तर बिहार में फोन सेवा ठप हो गया है।
चाचा जी, काशी नगरी शिव जी की त्रिशूल पर बसी है वहाँ कुछ नही होगा..
काठमांडू मे लोग डर कर भागे तो दुर्घटना हुआ ,जिस्के कारण मरे.हकीकत मे तो डर के कारण ही वो दौडे तो दुर्घटना हुआ.रियेक्टर नहीं रिक्टर स्केल.रिक्टर नाम के विद्वान ने कम्पन को मापने का स्केल बताया और वही स्वीकृत हो गया. भौगर्भिक केन्द्र मे धरातल के कम्पन से ग्राफ बनता है,जैसे कि ई.सी.जी.मे बनता है,और उसी को Richter scale मे मापा जाता है.
विनोद पाण्डेय…बतिया तो ठीके कह रहे हो बेटा…मगर कल नंदी घुसिया गये थे। कह रहे थे कि आजकल ई लोग गोदौलिया चौराहे पे गोबर नहीं करने दे रहे हैं। जाने कहां कहां से आइके भीड़ मचा दिये हैं! त्रिशूल हिला के थोड़ी भीड़ कम करनी पड़ेगी।
प्रेम बल्लभ पाण्डेय…धन्यवाद ज्ञान बढ़ाने के लिए। कुछ तो लाभ होइये गया ब्लॉगिंग से। रिक्टर नाम का विद्वान था। ई था कहां का..?
@देवेन्द्र पाण्डेय जीहमरे इहां त पत्ता भी नाही हिलबे किया, अलबत्ता पूर्वोत्तर भारत नेपाल में स्थिति ठीक नही दिख रही है, ६.८ रिक्टर स्केल का भुकंप भी काफ़ी तीव्रता लिये होता है, ईश्वर सबको सलामत रखे यही प्रार्थना है. रामराम.
पटना हिले..कलकत्ता हिले..नेपालो हिले ला..बाबा कs त्रिशूलिया हिले तs दुनियाँ हिले ला..
हम ज़िंदा हैं देवेन्द्र जी ….:))और खूब मज़े लिए झटके के …..पर आपने झटको के बीच पोस्ट भी लिख डाली …?कमाल करते हैं आप भी ….:))
काहे को हम झगड़ते हैं आपस में ? ई विधेयक ऊ विधेयक…कौन सा तीर मार लोगे नासपीटों….? अभ्भी एक्के रियेक्टर बड़ा होता तो अकल ठिकाने लग जाती।.जब मौत सामने होती है तब ही ख़याल आता है कि क्यों लड़ते हैं आपस में … धरती भी कब तक सहेगी अत्याचार ..
हरकीरत हीर…मरें आपके दुश्मन। कलकत्ता भी ठीक है, आसाम भी ठीक है, नेपाल भी ठीक है, मतलब जितने ब्लॉगरों को मैं जानता हूँ..सभी कुशल से हैं। ईश्वर की लाख कृपा। मगर जो इसमें अनायास मारे गये उन बिचारों के बारे में क्या कहा जाय। प्रकृति के आगे किसी का जोर नहीं चलता।भगवान उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे।
संगीता स्वरूप…जी..बिलकुल ठीक कहा आपने..जब मौत सामने होती है तब ही ख़याल आता है कि क्यों लड़ते हैं आपस में …! यही तो सबसे बड़ा आश्चर्य है।
इधर तो कुशल है.
लगता भूकम्प के झटके तो आपके आ रहे हैं। तभी तो अब तक की 26 टिप्पणियों में से 13 आपकी ही हैं।
पांडे जी!बाबा की नगरी पर ही बिपत्ति है का.. बाबा विश्वनाथ और पशुपति नाथ दुनो हिल गए!!
हमने भी महसूस किया…रोमांचक
आप सकुशल हैं यह जानकर जान में जान आयी।
बाबा की कृपा है कि सब ठीक ठाक रहा….भला हो सबका..