जै राम जी की।


        अयोध्या प्रकरण पर माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का हम स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि यह फैसला मुल्क की तरक्की के राह में मील का पत्थर बनेगा। लम्बे समय से चले आ रहे विवाद को समाप्त करने और भाई चारे की नई शुरूवात करने का यह सुनहरा अवसर है, हमें इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। आजकल आनंद की यादें में इतना डूबा हुआ हूँ कि नई कविता का सृजन नहीं हो पा रहा है। अब अयोध्या पर आए इस फैसले ने तो यादों के सभी तार एक ही झटके में झनझना दिए हैं। सुर-ताल गुम है।
            बाबा का दरबार कल सूना था। इतना सूना कि इसके पहले कभी नहीं देखा गया। सभी शिव भक्त राम की तलाश में गुम थे। भोले बाबा ने नंदी से पूछा, का रे बैल ! आज सब कहाँ हैं ? नंदी खुर पटक के बोले, हम हूँ जा रहे हैं..! सुना है भगवान राम का मंदिर बने वाला है !”
जै राम जी की ।         

18 thoughts on “जै राम जी की।

  1. लम्बे समय से चले आ रहे विवाद को समाप्त करने और भाई चारे की नई शुरूवात करने का यह सुनहरा अवसर है…….bilkul sahi baat..sahi soch

  2. फ़ैसले के बाद…ठहरे नहीं रहेंगे सदा एक मोड़ पररस्ता नया खुला है संभलकर चलेंगे हमजो फ़ैसला दिया है, अदालत ने, ठीक है इस फ़ैसले की मिलके हिफ़ाज़त करेंगे हम शाहिद मिर्ज़ा शाहिद

  3. भोले बाबा ने नंदी से पूछा, “का रे बैल ! आज सब कहाँ हैं ? नंदी खुर पटक के बोले, “हम हूँ जा रहे हैं..! सुना है भगवान राम का मंदिर बने वाला है !”जै राम जी की । यही बात तो सन सैतालिस में भी हुई थी ज़ब हिंदुस्तान के दो टुकडे को पाकिस्तान नाम दिया गया था, अमन चैन की उम्मीद में ……..कौन कहाँ गया……आज क्या हालत हैं………इक गलती की क्या सजा मिलती जा रही है…….सोचने की बात है इक बार फिर अमन चैन की उम्मीद कहीं भरी न पड़ जाये……..वैसे भी अंततः नंदी को वापस शिव जी के पास तो आना ही पड़ेगा, क्योंकि नंदी के इस कथन पर शिव जी मन ही मन मंद-मंद मुस्करा जो रहे हैं………….सुन्दर सटीक रचना पर हार्दिक बधाई…….चन्द्र मोहन गुप्त

  4. शिवजी नंदी से बोले :अभी बहुत देर है बुद्धु ! सुप्रीम कोर्ट में सालों केश चलने वाला है.

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